Tuesday, November 2, 2010

दीवाली की खुशियों को बर्बाद मत कीजिये.....

भारत देश त्यौहारों की खान हैं. नववर्ष के प्रारंभ से अगले नववर्ष तक त्यौहार का ही मौसम बना  रहता हैं. त्यौहारों से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं. त्यौहार सदैव उत्साह और उमंग से मनाना चाहिए. आदिकाल मैं हमारे पूर्वज त्यौहार को पर्यावरण से जोड़कर देखते थे -वृक्षों की पूजा,नदियों की पूजा,यज्ञ, हवन सभी को पर्यावरण से जोड़ा गया.आज त्यौहारों को मनाने में बदलाव आ गया है .पहले दशहरे पर एक जगह रावण जलाते थे पर आज हर गली मोहल्ले में रावण जलने लगे हैं.अब रावण के कद से ज़्यादा मात्रा में पटाखे भी लगाए जाते हैं.  जो पर्यावरण को उतना ही ज़्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं.. पूरे भारतवर्ष में दुर्गा जी की मूर्तियां रखी जाती हैं जो प्लास्टर ऑफ पेरिस,  कृत्रिम रंगों से और रसायनों से बनती हैं..मुंबई में गणेश उत्सव के दौरान भी  मूर्तियों की स्थापना  की जाती हे जिसे बाद में समुद्र में विसर्जित करते हैं.. इसी तरह दुर्गा मूर्तियां भी देश भर की नदियों में विसर्जित की जाती हैं. दोनों ही जल को प्रदूषित करती हैं.देखिये न अभी दिवाली में तीन दिन शेष हैं और पटाखों का शोर अभी से शुरू हो गया है.. दिवाली के दिन तो पटाखों की धमक और धूम धड़ाके से सारा वातावरण  गूंज उठेगा.  जिससे हम ही नहीं सारा प्राणिजगत और वनस्पति तक  प्रभावित होंगे . दिवाली की खुशी क्या इस शोर गुल के बिना पूरी नहीं हो सकती? पुराने समय में दीयों की रौशनी से ही दिवाली की रौनक होती थी. तब ये कीड़ों  को नष्ट कर देते थे क्योंकि दीयों में सरसों का तेल डाला जाता था.सरसों का तेल वातावरण को शुद्ध करता था परन्तु  आज शहरों में फ्लैट वाली लाइफ में न छत अपनी है और न ही ज़मीन  इसलिए दिवाली छोटी होकर घर के अंदर ही सिमट गयी है .अब घर के अंदर ही दीयों को जलाकर  हम "तमसो  मा ज्योतिर्गमय" का सन्देश देते हैं. इस सब के बावजूद हमें दिवाली अवश्य मनाना चाहिए  परन्तु . पटाखों के शोर और धुंएँ से बचाव का प्रयास करना चाहिए. दरअसल पटाखों में जो तत्त्व पाए जाते हे. उनमें 'केडमियम 'होता है जो गुर्दे  खराब कर सकताहै.यह ह्रदय को भी नुकसान पहुंचाता है.'कॉपर' का धुआं सांस लेने में तकलीफ का कारण  बनता है.सल्फर आँख,नाक और त्वचा में जलन पैदा करता है,फास्फोरस पाचनतंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है,लेड के कारण फेफड़े और गुर्दे का कैंसर  हो सकता हे. अतः हमें पर्यावरण हितेशी  दिवाली  मनाना चाहिए और दूसरों को भी ऐसे ही दिवाली मनाने के लिए प्रेरित  करना  चाहिए  और आनेवाली पीढ़ी को स्वच्छ, स्वस्थ , पर्यावरण देना चाहिए. हम  यह  कामना करते हैं सभी  स्वस्थ,सुरक्षित रहे...... दीप हम सभी के जीवन में सुख, शांति, समृधि का संचार करे. सभी के दिलों से बैर- द्वेष के अंधकार को दूर कर प्यार और अपनेपन की भावना का प्रसार करे. मेरी और से भी दीपावली आप सभी के लिए मंगलमय हो यही शुभकामनायें..........

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